बिहार में सरकार का स्वरूप बदला है:सुमित

चकाई के लोकप्रिय पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह ने कहा है कि बिहार में सरकार का स्वरुप बदला है. उम्मीद है कि कार्य संस्कृति भी बदलेगी. 2015 से पहले बिहार की पूरी शासन व्यवस्था की कार्य संस्कृति विकासपरक थी. शासन-प्रशासन में बैठे लोग पूरी तत्परता से विकास योजनाओं को तयशुदा समय में पूरा करने को काफी जागरूक रहते थे. लेकिन महागठबंधन सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश जी की सदशयता के बावजूद एक ख़ास प्रकृति के राजनीतिक दल, उसके नेता और कार्यकर्ता बाधा बने बैठे थे. राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक शिष्टाचार से उन सबका कोई सरोकार नहीं है. ऐसे में बिहार तरक्की की राह से ही न सिर्फ भटक गया, बल्कि, बिहार की पूरी शासन व्यवस्था अनियमितता और अनाचार का शिकार हो गयी थी. बिहार वासियों के सेहत से जुड़े महकमे का क्या हाल था? उसमें किस सोच के वजीर थे? उनकी क्या समझ थी? वह और उनके शागिर्दों  के मनमानेपन से सब चिकित्सक भयाक्रांत रहते थे. कोई रचनात्मक कार्य नहीं हो रहा था. वही स्थिति सड़क और पुल निर्माण के क्षेत्र की स्थिति थी. मैंने मुख्यमंत्री जी के समक्ष जमुई जिला के नरियाना पुल का मामला उठाया तो वह संबंधित विभाग के राजनीतिक प्रमुख की उदासीनता के कारण इस दिशा में समुचित प्रगति नहीं हो रही थी. अब बदलाव और प्रगति होगी, ऐसी उम्मीद है.

-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।

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