तीन तलाक पर माननीय उच्चतम न्यायालय ने दिया ऐतिहासिक फैसला:-सुमित कुमार सिंह
बुधवार को चकाई के पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि
तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं से मुस्लिम महिलाओं को आज़ादी. तीन तलाक पर माननीय उच्चतम न्यायालय ने दिया ऐतिहासिक फैसला. इस फैसला का सभी देशवासियों ने एकजुट होकर स्वागत किया है. यह सुखद संकेत है. इसके लिए इस कानूनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने वाली सायरा बानो जी, आफरीन रहमान जी, अतिया साबरी जी, गुलशन परवीन जी और इशरत जहां जी को हृदय से सलाम! इन सबने तमाम बाधाओं के बावजूद आधी आबादी की हक और सम्मान के न्याययुद्ध को लड़ने का जज्बा दिखा दुनिया के सामने बेमिसाल नजीर पेश किया. इसके लिए माहौल बनाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भी धन्यवाद दिया जाना चाहिए, उनको मुस्लिम समाज का कथित विरोधी बताया जाता है. लेकिन उन्होंने उसी समाज की पीड़ित महिलाओं के हक-हकूक से जुड़े इस मसले को संजीदगी से उठाकर राष्ट्रीय विमर्श का मुद्दा बनाया. पहले भी इंदौर की शाहबानो जी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष इस मसले को उठाया था, फैसला भी शाहबानो के पक्ष में आया था. तब भारत के प्रधानमंत्री युवा एवं प्रगतिशील सोच वाले राजीव गांधी जी थे. लेकिन वह रुढ़िवादियों के दबाव में आ गये. उस ऐतिहासिक फैसले को लागू नहीं होने दिया. यह उनकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई. उसके बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खां साहब तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे. आज जो फैसला आया है उसमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद जी और कपिल सिब्बल जी ने भी तीन तलाक के खिलाफ पैरवी किया. उन्हें भी साधुवाद दिया जाना चाहिए. वहीं उच्चतम न्यायालय के पांच सदस्यीय संविधान पीठ का भी अभिनंदन होना चाहिए. जिसमें पांच जज पांच धर्म हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम और पारसी से आते हैं. उन्होंने ऐसा साहसिक निर्णय दिया है, जो भारत की विभिन्नता में विशिष्टता का द्योतक है. इस ऐतिहासिक मौके के हम सब साक्षी बने, जो भविष्य में क्रांतिकारी बदलाव का वाहक बनेगा.
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।
तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं से मुस्लिम महिलाओं को आज़ादी. तीन तलाक पर माननीय उच्चतम न्यायालय ने दिया ऐतिहासिक फैसला. इस फैसला का सभी देशवासियों ने एकजुट होकर स्वागत किया है. यह सुखद संकेत है. इसके लिए इस कानूनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने वाली सायरा बानो जी, आफरीन रहमान जी, अतिया साबरी जी, गुलशन परवीन जी और इशरत जहां जी को हृदय से सलाम! इन सबने तमाम बाधाओं के बावजूद आधी आबादी की हक और सम्मान के न्याययुद्ध को लड़ने का जज्बा दिखा दुनिया के सामने बेमिसाल नजीर पेश किया. इसके लिए माहौल बनाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भी धन्यवाद दिया जाना चाहिए, उनको मुस्लिम समाज का कथित विरोधी बताया जाता है. लेकिन उन्होंने उसी समाज की पीड़ित महिलाओं के हक-हकूक से जुड़े इस मसले को संजीदगी से उठाकर राष्ट्रीय विमर्श का मुद्दा बनाया. पहले भी इंदौर की शाहबानो जी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष इस मसले को उठाया था, फैसला भी शाहबानो के पक्ष में आया था. तब भारत के प्रधानमंत्री युवा एवं प्रगतिशील सोच वाले राजीव गांधी जी थे. लेकिन वह रुढ़िवादियों के दबाव में आ गये. उस ऐतिहासिक फैसले को लागू नहीं होने दिया. यह उनकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई. उसके बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खां साहब तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे. आज जो फैसला आया है उसमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद जी और कपिल सिब्बल जी ने भी तीन तलाक के खिलाफ पैरवी किया. उन्हें भी साधुवाद दिया जाना चाहिए. वहीं उच्चतम न्यायालय के पांच सदस्यीय संविधान पीठ का भी अभिनंदन होना चाहिए. जिसमें पांच जज पांच धर्म हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम और पारसी से आते हैं. उन्होंने ऐसा साहसिक निर्णय दिया है, जो भारत की विभिन्नता में विशिष्टता का द्योतक है. इस ऐतिहासिक मौके के हम सब साक्षी बने, जो भविष्य में क्रांतिकारी बदलाव का वाहक बनेगा.
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।
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