पूर्व विधायक ने किया बाढ़ पीड़ितों के राहत बचाव हेतु हरसंभव योगदान देने की अपील
देश की आजादी के पावन दिवस पर समस्त देशवासियों को बधाई देते हुए चकाई के लोकप्रिय पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह ने कहा है कि इस पावन मौके पर हम सब संकल्प लें कि बिहार के एक करोड़ से अधिक बाढ़ पीड़ितों के राहत-बचाव के लिए हम सभी हरसंभव योगदान देंगे, निजी रूप से जो जाकर सेवा कर सकते हैं, जिनके लिए जाना संभव नहीं है, मुख्यमंत्री राहत कोष में अपने बचत की राशि में कुछ अवश्य दें। हमारे आपके जैसे लोगों के द्वारा थोड़ा-थोड़ा योगदान दें तो उनके कष्ट निवारण में काफी बड़ी सेवा साबित होगी!
15 अगस्त 1947 को जिनके बलिदान की बदौलत देश गुलामी की जंजीरों से मुक्त हुआ आज के दिन हम आंदोलन के उन सभी सिपाहियों का शत-शत वंदन करें, उनका नमन करें। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का पन्ना सिपाही मंगल पांडे के खून से लाल हुआ। उनके खून से जो युवाओं का खून उबला उसके बाद तो यह संग्राम एक महासंग्राम में तब्दील हो गया। देश की खातिर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहेब, सरफरोशी की तमन्ना लिए रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव आदि एक के बाद एक देश के लिए फना हो गये। तब महासंग्राम की बागडोर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस, सरदार बल्लभ भाई पटेल सरीखे महान नेताओं ने संभाली- अहिंसा और असहयोग जैसे अहिंसक हथियार के बल पर। देश की आजादी के लिए शहादत देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को मैं श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। आज के दिन हम देश के गरीब, पीड़ित, दलित, शोषित समाज के पिछड़े हुए सभी लोगों के कल्याण का, उनके लिए कुछ न कुछ कर गुजरने का संकल्प लें तभी इस पर्व की सार्थकता होगी।
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।
15 अगस्त 1947 को जिनके बलिदान की बदौलत देश गुलामी की जंजीरों से मुक्त हुआ आज के दिन हम आंदोलन के उन सभी सिपाहियों का शत-शत वंदन करें, उनका नमन करें। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का पन्ना सिपाही मंगल पांडे के खून से लाल हुआ। उनके खून से जो युवाओं का खून उबला उसके बाद तो यह संग्राम एक महासंग्राम में तब्दील हो गया। देश की खातिर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहेब, सरफरोशी की तमन्ना लिए रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव आदि एक के बाद एक देश के लिए फना हो गये। तब महासंग्राम की बागडोर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस, सरदार बल्लभ भाई पटेल सरीखे महान नेताओं ने संभाली- अहिंसा और असहयोग जैसे अहिंसक हथियार के बल पर। देश की आजादी के लिए शहादत देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को मैं श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। आज के दिन हम देश के गरीब, पीड़ित, दलित, शोषित समाज के पिछड़े हुए सभी लोगों के कल्याण का, उनके लिए कुछ न कुछ कर गुजरने का संकल्प लें तभी इस पर्व की सार्थकता होगी।
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।
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