डॉक्टर्स डे बेटियों के लिए समर्पित है:सुमित
डॉक्टर्स डे के मौके पर चकाई के पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह जी ने कहा कि बेटियों का दिन. मेरी जिन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है मेरी बेटियां हनी और बनी. हंसी-ख़ुशी, उमंग-उत्साह, प्यार-स्नेह, ममता-वात्सल्य सबकुछ हनी-बनी के साथ से ही है. वैसे तो अपनी जीवन के किसी दिन, क्षण, पल की कल्पना इनके बिना मैं नहीं कर सकता. लेकिन आज का दिन बेटियों के लिए समर्पित है, इसलिए मैं उनके साथ अपने साहचर्य को साझा कर रहा हूं. लेकिन आज थोड़ा मन बेचैन है. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में बेटियों के साथ जो सलूक किया जा रहा है, वह मेरी बेचैनी का कारण है. उन बेटियों ने तो सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए प्रबंध किये जाने की मांग की थी, फिर उन पर पुलिस के माध्यम से लाठियों, रबड़ की गोलियां बरसाना कहां तक उचित है! केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार है, जिसने वादा किया था महिलाओं पर अत्याचार खत्म करने का. जिस पार्टी के नेत्रियां देश को गौरवान्वित कर रही हैं. कल ही सुषमा स्वराज जी ने अपने ओजस्वी भाषण से संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत को सिर फख्र से ऊंचा किया. निर्मला सीतारामन जी हैं, जो इंदिरा जी के बाद देश की पहली रक्षा मंत्री हैं. खेल हो या, विज्ञान हर क्षेत्र में बेटियों ने अपने देश को दुनिया में विशिष्ट स्थान दिलाया है. फिर उसी पार्टी की सरकारें बीएचयू की बेटियों की मांग को प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बना रही हैं? अगर विश्वविद्यालय के कुलपति और अन्य अधिकारियों ने गलत किया है तो उन्हें नहीं बचाएं, सख्त कारवाई करें. बड़ी उम्मीदों से लोगों ने विशेषकर बेटियों, महिलाओं ने इन सरकारों को चुना है. उसका ख्याल रखें, बेटियों को समर्पित इस दिन उन बेटियों के हक में सुविचारित फैसला लें. मैं भी जेएनयू का छात्र रहा हूं, वहां की छात्र राजनीति में हस्तक्षेप करता था, छात्रों के असंतोष को राजनीतिक आन्दोलन का स्वरूप सरकारें अपनी गलतियों से दे देती है, जिसका उसे सदा नुकसान ही होता है. छात्राओं की सुरक्षा संबंधी मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर समुचित कदम उठाएं, इसे कतई प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनाएं. मेरी बेटी हनी-बनी कोई मांग करती है, पूरा न होने पर रूठ जाती हैं तो क्या मुझे उसे अपने अहं का प्रश्न बनाना चाहिए या, उसे प्रेमपूर्वक मना लेना चाहिए? यह मेरी समझ है, मानना, न मानना सरकारों का काम है.
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।
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