पैसे की चाहत छोड़ शिक्षा की लौ जला रहे अविनाश
इस आर्थिक युग मे हर किसी की पहली चाहत होती है पैसा। लेकिन, आज भी कुछ ऐसे लोग हैं , जो पैसे छोड़ शिक्षित समाज के निर्माण में भूमिका निभा कर प्रेरणादायक संदेश दे रहे हैं। वह भी निःशुल्क।खैरा
प्रखंड कार्यालय के समीप स्थित चंद्रपुर(घनबेरिया) के अविनाश प्रताप सिंह (निशांत) गरीब-निसहाय बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इस विद्यालय का नाम ‛‛ज्ञान निकेतन’’ ज्ञान दान की नई पाठशाला ।प्रतिदिन तीन घंटे (सुबह 5-8) 40-50 छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं। अविनाश चंद्रपुर निवासी प्रदीप सिंह के द्वितीय सुपुत्र हैं व भारतीय जनता युवा मोर्चा (खैरा) में महामंत्री दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। अविनाश प्रताप सिंह की पहचान अपने छेत्र में अलग है, इनकी पढ़ाई बीएससी (कृषी) प्रथम वर्ष में चल रही है। शिक्षा दर गिरते देख इन्होंने ठाना है कि अपने प्रखंड को शिक्षा के छेत्र में अव्वल होना है। शुरुआती दौर में वहाँ के लोग कहते थे की ये सब से कुछ नही होगा । इसके वावजूद लोगों की परवाह किये बिना निःस्वार्थ अपने कदम बढ़ाते गए। और आज निःशुल्क ज्ञान निकेतन से शिक्षा पाकर छात्र इन्हें परमगुरु मानते हैं।
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।
प्रखंड कार्यालय के समीप स्थित चंद्रपुर(घनबेरिया) के अविनाश प्रताप सिंह (निशांत) गरीब-निसहाय बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इस विद्यालय का नाम ‛‛ज्ञान निकेतन’’ ज्ञान दान की नई पाठशाला ।प्रतिदिन तीन घंटे (सुबह 5-8) 40-50 छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं। अविनाश चंद्रपुर निवासी प्रदीप सिंह के द्वितीय सुपुत्र हैं व भारतीय जनता युवा मोर्चा (खैरा) में महामंत्री दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। अविनाश प्रताप सिंह की पहचान अपने छेत्र में अलग है, इनकी पढ़ाई बीएससी (कृषी) प्रथम वर्ष में चल रही है। शिक्षा दर गिरते देख इन्होंने ठाना है कि अपने प्रखंड को शिक्षा के छेत्र में अव्वल होना है। शुरुआती दौर में वहाँ के लोग कहते थे की ये सब से कुछ नही होगा । इसके वावजूद लोगों की परवाह किये बिना निःस्वार्थ अपने कदम बढ़ाते गए। और आज निःशुल्क ज्ञान निकेतन से शिक्षा पाकर छात्र इन्हें परमगुरु मानते हैं।
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।



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