दो संस्था के वर्चस्व के बीच कहीं पीस न जाय कृषक हित
अभिषेक कुमार सिंह, जमुई की रिपोर्ट:~
कभी कृषक योजना, स्वावलंबन के लिए चर्चित खादीग्राम वर्तमान में अपनी दुर्दशा व घटनाक्रम को लेकर चर्चा में है। पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह शनिवार को खादीग्राम पहुंच कर स्थिति की जानकारी ली और संबंधित लोगों से कृषक हित की रक्षा की अपील की। दरअसल विगत एक साल से केवीके के संचालन में बरती जा रही शिथिलता को लेकर किसान श्रम भारती से आक्रोशित हैं तो कृषि वैज्ञानिक सहित केंद्र कर्मी नाराज। इसी दौरान सर्व सेवा संघ ने खादीग्राम परिसर की जमीन पर अपना मालिकाना हक जताते हुए कार्रवाई प्रारंभ कर दी। बीते 3 नवंबर को आयोजित राज्य स्तरीय किसान सभा में केवीके बचाने को लेकर प्रस्ताव भी पारित किया गया। सूत्रों की माने तो श्रम भारती ने भी जमीन के मालिकाना हक को लेकर कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए कमिश्नर कोर्ट जाने की तैयारी की जा रही है। इधर किसानों को चिंता सताने लगी है कि कृषि उत्थान को समृद्धि का आधार व स्वालंबी समाज निर्माण की वकालत करने वाली दोनों संस्था के वर्चस्व की लड़ाई बीच कहीं कृषक हित ही न पीस जाय और कृषि विज्ञान केंद्र पर प्रतिकूल असर पड़े। किसान दिनेश शर्मा, विपीन मंडल, रामप्रवेश सिंह, अमित कुमार, नरेश यादव आदि ने कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था वाली जिले के किसानों को केवीके की आवश्यकता है। केंद्र व कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान का लाभ सीधे किसानों को मिलता है। विपरित समय में वैज्ञानिकों की सलाह किसानों को आर्थिक हानि से बचाता है। किसानों ने कहा कि जमीन जिसकी भी हो मगर किसानों के लिए केवीके को बचाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन से विवाद निपटने तक केवीके के संचालन व निगरानी करने की मांग की जाएगी। फिर भी बात नहीं बनी तो किसान अन्य रास्ता भी अपना सकते हैं। जिले के किसानों के भविष्य के लिए केवीके अतिआवश्यक है। बहरहाल, खादीग्राम परिसर स्थित केवीके के संचालन सुचारू रूप से चलाने को लेकर वैज्ञानिक सहित कर्मी प्रयासरत हैं।
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