साईं मंदिर के वार्षिक महोत्सव में शामिल हुए युवा नायक
आज चकाई विधानसभा के सोनो प्रखंड अंतर्गत लखनक्यारी पंचायत के डुमरी गांव में साईं बाबा मंदिर में वार्षिक महोत्सव समारोह में युवा नायक माननीय सुमित कुमार सिंह जी शामिल हुए। मौके पर श्री सिंह ने साईं बाबा के समक्ष सिर नवा कर अपने क्षेत्र, जिले और अंग प्रदेश वासियों के कल्याण, तरक्की और अमन-शान्ति के लिए आशीष मांगा. डुमरी गांव वासी हर वर्ष यह आयोजन करते हैं. इसके मुख्य कर्ता-धर्ता अनंत तिवारी जी हैं. उनके साथ मिलकर बड़ी तादाद में युवा साथी, ग्रामीण बुजुर्ग, माताएं-बहनें इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान देते हैं.
श्री सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि साईं बाबा से सीख लेकर दीन-दुखियों की सेवा, सहायता को अपने जीवन की दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए. साईं बाबा की आराधना के साथ-साथ उनके जीवन दर्शन, उनके उपदेश, उनके विचारों को अपने व्यवहार में समाविष्ट करना होगा तभी साईं बाबा की आराधना सफल होगी. मैं सभी महापुरुषों, दिव्य जनों के आदर्शों से कुछ-न-कुछ सीखने की कोशिश करता हूं. पूरी तरह भले न उसे खुद पर उतार पाऊं, लेकिन निरंतर प्रयास का प्रतिफल अवश्य मिलता है. कहा गया है - करत-करत अभ्यास जड़मति होत सुजान, रसरी आवत-जात ते सिल पड़त निशान. बहरहाल, आध्यात्मिक आयोजनों से पूरा माहौल सुवासित हो जाता है. सकारात्मकता का प्रसार होता है. पॉजिटिव एनर्जी सबको मिलती है, नेगेटिव एनर्जी का नाश होता है. रचनात्मकता का विकास होने से अमन-शान्ति कायम होती है, विध्वंसक नकारात्मक सोच पर तो लगाम लगता है. साईं कृपा प्राप्त होती है. हे साईं बाबा! मुझे जनसाधारण के जीवन में सुख का प्रकाश और दुःख का अंधेरा दूर करने का माध्यम बनने का अवसर, शक्ति, क्षमता, विवेक दीजियेगा.
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।
श्री सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि साईं बाबा से सीख लेकर दीन-दुखियों की सेवा, सहायता को अपने जीवन की दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए. साईं बाबा की आराधना के साथ-साथ उनके जीवन दर्शन, उनके उपदेश, उनके विचारों को अपने व्यवहार में समाविष्ट करना होगा तभी साईं बाबा की आराधना सफल होगी. मैं सभी महापुरुषों, दिव्य जनों के आदर्शों से कुछ-न-कुछ सीखने की कोशिश करता हूं. पूरी तरह भले न उसे खुद पर उतार पाऊं, लेकिन निरंतर प्रयास का प्रतिफल अवश्य मिलता है. कहा गया है - करत-करत अभ्यास जड़मति होत सुजान, रसरी आवत-जात ते सिल पड़त निशान. बहरहाल, आध्यात्मिक आयोजनों से पूरा माहौल सुवासित हो जाता है. सकारात्मकता का प्रसार होता है. पॉजिटिव एनर्जी सबको मिलती है, नेगेटिव एनर्जी का नाश होता है. रचनात्मकता का विकास होने से अमन-शान्ति कायम होती है, विध्वंसक नकारात्मक सोच पर तो लगाम लगता है. साईं कृपा प्राप्त होती है. हे साईं बाबा! मुझे जनसाधारण के जीवन में सुख का प्रकाश और दुःख का अंधेरा दूर करने का माध्यम बनने का अवसर, शक्ति, क्षमता, विवेक दीजियेगा.
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।




Comments
Post a Comment