पत्रकारिता जगत के पुरोधा थे पारसनाथ तिवारी जी:सुमित
👉युवा नायक माननीय सुमित कुमार सिंह जी ने कहा कि हमारे अभिभावक समान पत्रकारिता के पुरोधा एवं सांध्य अखबार में क्रांति लाने वाले पारसनाथ तिवारी जी का पिछले दिनों देहांत हो गया। उनको अंतिम दर्शन करने मैं भी गया था। वे मेरे पिताजी के अनन्य शुभचिंतक थे। हम सबों के गार्जियन थे, जो अनुनय, निवेदन, आग्रह अपने पिताजी से नहीं कर पाते थे। जिस बारे में पिताजी को संकोचवश नहीं कह पाते थे। वह तिवारी जी अर्थात, बाबा से कहते थे। बाबा हमलोगों के मन को भांप लेते थे। हमलोग सकुचाते तो भी वह हम सब पूछ लेते थे। पिताजी से कुछ मनवाना भी होता तो भी हम सबके सबसे बड़े माध्यम तिवारी बाबा ही होते थे। बिल्कुल अपनों से भी अपने थे। बचपन से उनसे जो यह जुड़ाव, स्नेह, सानिध्य था, वह साथ छूट गया। छुटपन की उनसे जुड़े स्वर्णिम संस्मरण हमारी सबसे पुलकित करने वाली थाती है। वह मुझे हमेशा याद आएंगे। अपनापन का नेह मिला, इसके अलावा भी समाज और सत्ता को मीडिया की शक्ति का अहसास करवाने में उनका बेमिसाल योगदान है।सांध्य अखबार और उसकी शक्ति से पटना और बिहार का परिचय उन्होंने ही करवाया था। सच में उनके नेतृत्व और सम्पादकत्व में निकलने वाला 'अमृतवर्षा' सांध्य अखबार ने तहलका मचा दिया था। सीमित संसाधन और अनिश्चित भविष्य के बीच उन्होंने बिहार की सरकार को कुकृत्यों और कारनामों को उजागर कर तबकी सत्ताधारी पार्टी को हलकान कर दिया था। उन पर कई दफे हमले भी हुए, प्राणघातक प्रहार में घायल हो गए थे, अखबार के कार्यालय को भी तहस नहस कर दिया गया था। फिर भी एक दिन भी अखबार को बंद नहीं होने दिया। कुशासन और घोटाला जिनकी पहचान थी उनको अखबार के द्वारा सबसे पहली चुनौती तिवारी बाबा ने ही दिया था। उन्हें दिल से नमन! बाबा आप बहुत याद आएंगे, आपकी पत्रकारिता की विरासत और बढ़े यही हमारी कामना है। उनके तीन सुपुत्र हैं, मेरी गहरी संवेदना उनके साथ है।
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।
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