बड़ा सामाजिक बदलाव हो और वास्तविक वंचितों को उनका हक मिले:सुमित

अंगक्षेत्र के लोकप्रिय जदयू नेता सुमित कुमार सिंह ने जमुई परिसदन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अपने समाज के वंचित लोगों के लिए आरक्षण छोड़ने वाले श्रद्धेय पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास जी और बाबूलाल मरांडी जी को दिल से नमन करते हुए कहा कि  दलित, पिछड़े और आदिवास समाज के सामर्थ्यवान, आरक्षण का लाभ उठा बड़ी शख्सियत बन गए लोग खुद से आरक्षण को अपने ही समाज के सबसे वंचित लोगों के लिए छोड़ें, यह मेरी विनम्र अपील है। पहले भी बिहार और झारखंड के दो महानुभावों ने आरक्षण का स्वेच्छा से परित्याग किया था। एक थे वंदनीय पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास जी, दूसरे हैं झारखंड के माननीय पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी जी। रामसुंदर दास जी बिना आरक्षण का लाभ लिए सोनपुर सामान्य सीट से जीतकर विधायक और मुख्यमंत्री बने थे। उनके जैसे कद्दावर नेता के सामान्य सीट से जीतने के कारण एक अन्य दलित राजनीतिक कार्यकर्ता को विधानसभा सदस्य बनने का अवसर मिला  था। दलित समाज की हिस्सेदारी बढ़ी थी। उन्हें मैं नमन करता हूं, दलित समाज से आने वाले बिहार और देश के सभी बड़े दलित नेताओं से आग्रह करता हूं कि वह खुद सामान्य क्षेत्र से भाग्य आज़माएं, अन्य सेकंड लाइन के दलित राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं को आरक्षित सीट से सांसद-विधायक बनने का अवसर दें। यह बाबा साहेब अंबेडकर जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।बाबूलाल मरांडी जी दूसरे दल के नेता हैं फिर भी मैं उनका सम्मान करता हूं। क्योंकि उन्होंने आदिवासी समाज की हिस्सेदारी बढाने के लिए सबसे पहले प्रयास किया। वह सामान्य सीट कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से जीत कर सांसद बने थे। उनके कारण आदिवासी अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी लोकसभा में बढ़ी। लगातार तीन बार चुनाव लड़कर विजयी हुए, 2004, 2006 उपचुनाव, 2009। उनके ही इस प्रेरणादायी कदम का असर था कि 2009 में आदिवासी समाज से आने वाले एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा जी भी जमशेदपुर सामान्य सीट से चुनाव लड़कर विजयी हुए थे। अर्थात, 2009 में झारखंड से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों के अलावा दो और सीट की हिस्सेदारी आदिवासी समाज की बढ़ी थी। 14 में 5 सीटें आदिवासी समाज के लिए सुरक्षित है, तब 14 में रिकॉर्ड 7 आदिवासी जीते थे। यही वक्त की मांग है। ऐसे ही समर्थ दलित, पिछड़े, आदिवासी आरक्षण अपने ही समाज के गरीब लोगों के लिए छोड़ेंगे तभी तो नौकरी आदि हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ सकती है। और जरूरतमंद लोगों को आरक्षण मिल सकता है।बिहार में दलित समाज से आने एक ऐसे विधायक हैं जो सामान्य सीट कांटी से निर्दलीय विधायक हैं। वह हैं अशोक कुमार चौधरी जी। दो बार इस सामान्य सीट से  प्रयास किया। अंततः पिछली बार बड़े अंतर से जीते। हम लोग शीघ्र उनसे मिलकर, उनका सम्मान करेंगे, उन्हें और लोगों को प्रोत्साहित करने का आग्रह करेंगे। जदयू के नेता पूर्व मंत्री डॉ अशोक चौधरी जी भी बरबीघा सामान्य सीट से 2010 में चुनाव लड़ने का जज्बा दिखाया था। हम उन्हें भी अभियान में साथ देने के लिए आगे आने का आह्वान करते हैं। न मेरा मकसद श्रेय लेने का है, न प्रसिद्धि पाने की है, बस एक इच्छा है कि बड़ा सामाजिक बदलाव हो, वास्तविक वंचितों को उनका हक़ मिले।
-अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।

Comments

  1. Agar is statement ko lagu karwaenge to pariwarwad par v janta dwara question hoga tab aap kiya karenge ? Jawab dene ka kripa karen .

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