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Showing posts from January, 2018

बिहार के सही मायनों में श्री बाबू निर्माता थे:सुमित

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🔴👉आज बिहार केसरी श्रीबाबू अर्थात, प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह जी की पुण्यतिथि पर युवा नायक माननीय सुमित कुमार सिंह जी ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि बिहार के सही मायनों में श्री बाबू निर्माता थे। अखंड बिहार( बिहार-झारखंड) में विकास की नींव डाल, पुष्पित-पल्लवित उन्होंने ही किया। दोनों राज्य की ज्यादातर औद्योगिक ईकाइयां उनकी ही कृति है। सिंदरी, बोकारो, रांची, बरौनी सब के सब श्रीबाबू के नजरिये के बदौलत बना। भारी उद्योग, चीनी उद्योग, कृषि आधारित उद्योग, उर्वरक कारखाने, इस्पात उद्योग, विद्युत उत्पादन उद्योग कितना गिनाऊं सब उनकी ही देन है। हम अगर पिछले साठ-सत्तर वर्ष में उनकी लीक पर चले होते तो आज बिहार-झारखंड राष्ट्र में विकास का प्रतिमान कहलाता। उनके दौर में हमारा राज्य देश में विकास की गति के मामले में सर्वश्रेष्ठ था। सुशासन के लिए बिहार तभी जगत्प्रसिद्ध था। शैक्षणिक व्यवस्था के नजरिये से भी शानदार था। तब पटना विश्वविद्यालय एशिया का कैम्ब्रिज कहलाता था। मुझे श्रीबाबू के व्यक्तित्व और उनके नाम से व्यक्तिगत लगाव भी है, मेरे दादाजी को भी श्रीबाबू ही कहा जाता...

सेवा की सियासत अनवरत रहेगी जारी,संकल्प ही नहीं यह बन गई है अपनी आदत:सुमित

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जमुई परिसदन में जिला भर के आम लोगों से युवा नायक माननीय सुमित कुमार सिंह जी ने मिलकर उनकी जनसमस्याओं के समाधान का प्रयास किया। मौके पर श्री सिंह ने कहा कि आज की व्यवस्था में सबसे बड़ी समस्या यही है कि आम लोग अपनी पीड़ा, मुश्किल, कष्ट समर्थ, सक्षम प्राधिकार के पास रख नहीं पाते हैं। कहीं उनके रखने में दिक्कत है तो कहीं व्यवस्था का दोष है। लिहाजा, इसमें जनप्रतिनिधियों का दायित्व बनता है कि वह आम लोगों से मिलें, उनकी सुनें और उनकी पीड़ा को दूर करने के लिए उत्तरदायी विभाग एवं पदाधिकारी को निर्देशित करें। इसमें ही जनप्रतिनिधियों को विषय, व्यवस्था और व्यवस्थागत प्रक्रिया की समझदारी काम आती है जिससे संबंधित प्राधिकार उन्हें तकनीकी मसले में उलझा कर गुमराह न कर सकें।लेकिन दुर्भाग्य है कि देश और राज्य के उच्च एवं प्रभावकारी सदन के जनप्रतिनिधि आकाशकुसुम हो जाते हैं। भगवान भोले से मिलना सहज है, उनके जैसों का दर्शन उनसे भी दूभर हो जाता है। अगर कभी प्रकट भी हुए तो उन जैसों की अपनी समझ ऐसी है कि पदाधिकारी उन्हें चक्करघिन्नी बना देते हैं। अब हज़ारों करोड़ के परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बन...

खिलाड़ियों को कभी उदास नही होने दूँगा:सुमित

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👉खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन और खेल के माहौल को बढ़ावा देने की मेरी निरंतर कोशिश रहती है। जो भी साथी खेल भावना की महत्ता को समझते खेल आयोजनों के प्रति तत्पर रहते हैं, मैं हरसंभव सहायता करता हूं। बाबा साहेब के नाम पर स्थापित अम्बेडकर समिति ऐसी कोशिश करती है, इसलिए मेरी सद्भावना, शुभकामना और सहयोग उनके प्रति रहता है। उक्त बातें युवा नायक माननीय सुमित कुमार सिंह जी ने रविवार को अम्बेडकर समिति के तत्वावधान में खैरा प्रखंड अंतर्गत गोपालपुर पंचायत के गोपालपुर गांव में दोस्ताना क्रिकेट टूर्नामेंट में  बतौर मुख्य अतिथि के रूप में  शामिल होने के उपरांत अपने संबोधन में कही।फाइनल मुकाबला खैरा और घनबेरिया की क्रिकेट टीमों के बीच  हुआ। जिसमें घनबेरिया टीम का पलड़ा भारी रहा। टूर्नामेंट का विजेता कप तो घनबेरिया की टीम को मिला, लेकिन दोनों टीमों ने अपने प्रशंसनीय प्रदर्शन से लोगों का दिल जीत लिया। मौके पर अपने संबोधन में श्री सिंह ने कहा कि मेरी समझ है कि जीत-हार किसी का हो, खेल अवश्य होना चाहिए। तभी तो जूझने का माद्दा विकसित होगा, जूझना, विपरीत परिस्थितियों से उबरना, हारते-हारते जीतना सी...

लोजपा कार्यालय में मनी जननायक की जयंती

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बुधवार को जिला लोक जनशक्ति पार्टी कार्यालय जमुई में जननायक कर्पूरी ठाकुर की  जयंती  मनायी गई। लोजपा प्रदेश युवा महासचिव चंदन सिंह ने कहा कि जननायक ने बिहार के कमजोर, दबे कुचले लोगों के सामाजिक, आर्थिक दिशा बदलने में अहम भूमिका निभायी। वे स्वतंत्रता सेनानी भी थे। शोषितों के पुरोधा व सादगी के प्रतीक थे। जयंती के अवसर पर जननायक के तैल चित्र पर अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के सतीश धानुक,मोतिउल्लाह, सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।

सादगी,ईमानदारी, अहंकार-मद विहीन राजनीति के मिशाल थे कर्पूरी जी:सुमित

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🔷👉युवा नायक माननीय #सुमित_कुमार_सिंह जी ने कहा है कि आज बिहार के आदर्श मुख्यमंत्री महान कर्मयोगी जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन! श्रद्धासुमन समर्पित करता हूं। मेरा कर्पूरी जी से यही वास्ता है कि बचपन से उनके आदर्शों के बारे में सुनते हुए किशोर से युवावस्था की दहलीज पर कदम रखा। दादाजी श्रीकृष्ण कर्पूरी जी के अनन्य साथी एवं उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी हुआ करते थे। उनके साथ कई प्रसंग अतुलनीय हैं। एक बार मंत्रिमंडल की बैठक में किसानों के किसी मुद्दे पर दादाजी अड़ गए थे, उस समय वह सिंचाई मंत्री थे। मंत्रिमंडल में शायद वह पारित नहीं हुआ। दादाजी इसको लेकर चुपचाप इस्तीफा जननायक कर्पूरी जी को भिजवा दिए थे। शायद ही कोई मुख्यमंत्री अपने मंत्री के लोक महत्व की मांग पर ऐसे रवैये को सहजता से स्वीकार करेगा। लेकिन कर्पूरी जी खुद दादाजी के पास आए, उनसे पूरे मसले पर बात की। विस्तार से दादाजी ने उन्हें बताया कि कैसे यह किसानों के हित में है? फिर कर्पूरी जी ने तमाम अवरोधों को दूर कर उस योजना को कार्यान्वित करवाया। कर्पूरी जी सादगी, ईमानदारी, अहंकार-मद विहीन राजनीति की मिसाल थे। मेरे प...

जमुई में धूमधाम से मनेगी संत शिरोमणि गुरु रविदास की जयंती:उपेंद्र

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*🔷👉रविदास ग्रुप ऑफ कंपनी के चेयरमैन सह जमुई लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी उपेंद्र रविदास ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि आगामी 31 जनवरी को संत सिरोमणि गुरु रविदास की 640 वी जयंती जमुई में धूम धाम से मनाया जाएगा। जयंती समारोह में पुरे जिले के विभिन्न प्रखंडो से लोग भाग लेने आएंगे। साथ ही बताया कि संत रविदास के विचार आज के समय में प्रतिशत प्रासंगिक है . आज से 640वर्ष पहले समाज की व्यवस्था जो असमानता एवं भेदभाव पूर्ण थी उस समय संत रविदास ने अपना अनमोल विचार देकर समाज में समानता स्थापित करने का काम किया उनका कहना था की “ऐसा चाहू राज जहाँ सवन को मिले छोट-बड  सब सम दिखे, रहे रविदस प्रसन्न ”। -अभिषेक कुमार सिंह, जमुई।

जहीन सोंच के उम्दा नजरिये वाले राजनेता थे शाहिद अली खान साहब:सुमित

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युवा नायक माननीय सुमित कुमार सिंह जी ने कहा है कि बिहार के दिग्गज राजनेता, 'हम' पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री शाहिद अली खान साहब का अज़मेरशरीफ में ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर ज़ियारत के लिए जाने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से हो गया। मैं यह सुनकर काफी मर्माहत हूं। मुझे उनके साथ बतौर विधायक, सदन और सरकार में काम करने का अवसर मिला था। वही काफी जहीन सोच के उम्दा नजरिये वाले राजनेता थे। अहं और अहंकार तो उन्हें छू भी नहीं पाया था। वह दिल के काफी अच्छे इंसान थे। मुझे जैसे उम्र में काफी छोटे साथी को भी काफी सम्मान देते थे। अत्यंत सादगी से रहते थे। सफेद कुर्ता-पायजामा और बाटा का अत्यंत कम कीमत की चप्पल ही उनका लिबास अमूमन होता था। मंत्री-विधायक रहते हुए भी कभी सत्ता और कुर्सी का गुरुर उन्हें कभी नहीं हुआ। हम जैसे नए विधायकों को उनसे काफी कुछ सीखने को मिलता था। जब वह 1990 में पहली बार विधायक बने थे तो वह भी 25-26 साल के युवा थे। इसलिए उनका युवा लोगों के प्रति गहरा लगाव था। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। उनके परिजनों और समर्थकों को इस पहाड़ जैसे कष्ट...